शाखा | अध्ययन का विषय |
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अंतरिक्ष विज्ञान | अंतरिक्ष यात्रा एवं संबंधित विषय |
मत्स्यविज्ञान | मछलियां एवं संबंधित विषय |
अस्थि विज्ञान (आस्टियोलॉजी) | अथियों (हड्डियों) का अध्ययन |
पक्षीविज्ञान (आर्निन्थोलॉजी) | पक्षियों से संबंधित विषय |
प्रकाशिकी (ऑप्टिक्स) | प्रकाश का गुण एवं उसकी संरचना |
परिस्थितिविज्ञान(इकोलॉजी) | परिस्थितिकी का अध्ययन |
इक्क्राइनोलॉजी | गुप्त सूचनाएं एवं संबंधित विषय |
शरीर-रचना विज्ञान (एनाटॉमी) | मानव-शरीर की संरचना |
एयरोनॉटिक्स | विमानों की उड़ान |
खगोलिकी (एस्ट्रोनॉमी) | तारों एवं ग्रहों से संबंधित विषय तथा आकाशीय पिंडों का अध्ययन |
एग्रोलॉजी | भूमि (मिट्टी) का अध्ययन |
कीटविज्ञान (एंटोमोलॉजी) | कीट एवं संबंधित विषय |
एरेक्नोलॉजी | मकड़े एवं संबंधित विषय |
भ्रूणविज्ञान (एम्ब्रायोलॉजी) | भ्रण एवं संबंधित विषय |
समुद्र विज्ञान | समुद्र से संबंधित विषय |
ब्रह्माण्डविद्या | ब्रम्हांड का अध्ययन |
बीज-लेखन | गुप्त लेखन अथवा गूढ लिपि |
स्त्री-रोग विज्ञान | मादाओं के प्रजनन अंगों का अध्ययन |
भूविज्ञान | पृथ्वी की आंतरिक्ष संरचना |
रत्न विज्ञान | रत्नों का अध्ययन |
विरूपताविज्ञान (टेराटोलॉजी) | ट्यूमर का अध्ययन |
टैक्टोलॉजी | पशु – शरीर का रचनात्मक संघटन |
त्वचाविज्ञान (डर्मेटोलॉजी) | त्वचा एवं संबंधित रोगों का अध्ययन |
डेन्ड्रोलॉजी | वृक्षों का अध्ययन |
डेक्टाइलॉजी | अंकों (संख्याओ) का अध्ययन |
तंत्रिकाविज्ञान (न्यूरोलॉजी) | नाड़ी स्पंदन एवं संबंधित विषय |
मुद्राविज्ञान (न्यूमिसमेटिक्स) | मुद्रा – निर्माण एवं अंकन |
रोगविज्ञान (पैथोलॉजी) | रोगों के कारण एवं संबंधित विषय |
जीवाशिमकी (पैलिओंटोलॉजी) | जीवाश्म एवं संबंधित विषय |
परजीवीविज्ञान (पैरासाइटोलॉजी) | परजीवी वनस्पतियां एवं जीवाणु |
फायनोलॉजी | जीव-जन्तुओं का जातीय विकास |
ब्रायोफाइटा-विज्ञान (ब्रायोलॉजी) | दलदल एवं कीचड़ का अध्ययन |
बैलनियोलॉजी | खनिज निष्कासन एवं संबंधित विषय |
जीवविज्ञान (बायलॉजी) | जीवधारियों का शारीरिक अध्ययन |
वनस्पति विज्ञान | पौधों का अध्ययन |
जीवाणु-विज्ञान (बैक्टीरियोलॉजी) | जीवाणुओं से संबंधित विषय |
मारफोलॉजी | जीव एवं भौतिक जगत् की आकारिकी का अध्ययन |
खनिजविज्ञान (मिनेरालॉजी) | खनिजों का अध्ययन |
मौसम विज्ञान (मेटेरोलॉजी) | वातावरण एवं संबंधित विषय |
माइक्रोलॉजी | फफूंद एवं संबंधित विषय |
मायोलॉजी | मांस-पेशियों का अध्ययन |
विकिरणजैविकी (रेडियोबायोलॉजी) | जीव-जंतुओं पर सौर विकिरण का प्रभाव |
शैल लक्षण (लिथोलॉजी) | चट्टानों एवं पत्थरों से संबंधित विषय |
लिम्नोलॉजी | झीलों एवं स्थलीय जल भागों का अध्ययन |
सीरमविज्ञान (सीरोलॉजी) | रक्त सीरम एवं रक्त आधान से संबंधित |
स्पलैक्नोलॉजी | शरीर के आंतरिक अंग एवं संबंधित |
अंतरिक्ष जीवविज्ञान (स्पेस बायलोजी) | पृथ्वी से परे अंतरिक्ष में जीवन की सम्भावना का अध्ययन |
रुधिरविज्ञान (हीमेटोलॉजी) | रक्त एवं संबंधित विषयों का अध्ययन |
हेलियोलॉजी | सूर्य का अध्ययन |
उभयसृपविज्ञान (हरपेटोलॉजी) | सरीसृपों का अध्ययन |
ऊतकविज्ञान (हिस्टोलॉजी) | शरीर के ऊतक एवं संबंधित विषय |
हिप्नोलॉजी | निद्रा एवं संबंधित विषयों का अध्ययन |
विज्ञान विज्ञान का अर्थ है विशेष ज्ञान। मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं के लिए जो नए-नए आविष्कार किए हैं, वे सब विज्ञान की ही देन हैं। आज का युग विज्ञान का युग है। विज्ञान के अनगिनत आविष्कारों के कारण मनुष्य का जीवन पहले से अधिक आरामदायक हो गया है। दुनिया विज्ञान से ही विकसित हुई हैं।
मोबाइल, इंटरनेट, ईमेल्स, मोबाइल पर 3जी और इंटरनेट के माध्यम से फेसबुक, ट्विनटर ने तो वाकई मनुष्य की जिंदगी को बदलकर ही रख दिया है। जितनी जल्दी वह सोच सकता है लगभग उतनी ही देर में जिस व्यक्ति को चाहे मैसेज भेज सकता है, उससे बातें कर सकता है। चाहे वह दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न हो।
यातायात के साधनों से आज यात्रा करना अधिक सुविधाजनक हो गया है। आज महीनों की यात्रा दिनों में तथा दिनों की यात्रा चंद घंटों में पूरी हो जाती है। इतने द्रुतगति की ट्रेनें, हवाई जहाज यातायात के रूप में काम में लाए जा रहे हैं। दिन-ब-दिन इनकी गति और उपलब्धता में और सुधार हो रहा है।
चिकित्सा के क्षेत्र में भी विज्ञान ने हमारे लिए बहुत सुविधाएं जुटाई हैं। आज कई असाध्य बीमारियों का इलाज मामूली गोलियों से हो जाता है। कैंसर और एड्सस जैसे बीमारियों के लिए डॉक्टर्स और चिकित्साविशेषज्ञ लगातार प्रयासरत हैं। नई-नई कोशिकाओं के निर्माण में भी सफलता प्राप्त कर ली गई है।
सिक्के के दो पहलुओं की ही भांति इन आविष्कारों के लाभ-हानि दोनों हैं। एक ओर परमाणु ऊर्जा जहां बिजली उत्पन्न करने के काम में लाई जा सकती है। वहीं इससे बनने वाले परमाणु हथियार मानव के लिए अत्यंत विनाशकारी हैं। हाल ही में जापान में आए भूकंप के बाद वहां के परमाणु रिएक्टर्स को क्षति बहुत बड़ी त्रासदी रही।
अत: मनुष्य को अपनी आवश्यकता और सुविधानुसार मानवता की भलाई के लिए इनका लाभ उठाना चाहिए न कि दुरुपयोग कर इनके अविष्कारों पर प्रश्नचिह्न लगाना चाहिए।
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